मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

Curly Brackets - 10

           
अपने कमरे में (अभी समय है)
08.55

वह टेलिविजन ऑन करता है और कपड़े बदलता है.                      

वह भेंट में मिली ब्रीफ़केस खोलता है और सोचता है, कि क्या कॉन्फ्रेन्स में ज़रूरी काग़ज़ात और ‘जादुई छड़ी’ ले जाए या नहीं. वह फ़ैसला करता है कि ब्रीफ़केस में से कुछ भी बाहर नहीं निकालेगा और उसीके साथ मूखिन की नोटबुक रख देगा – जिससे कि किसी तरह मरीना को लौटा दे.

तभी मरीना का फ़ोन आया. जल्दी ही है. उसने सोचा कि बातचीत बाद में होगी. इस समय वह बातचीत के लिए तैयार नहीं है. इसलिए फ़ौरन कनेक्ट नहीं किया.
 “पढ़ लिया?”
 “पढ़ लिया.”
 “क्या कहोगे?”
 “क्या कहूँगा... और तुम क्या सुनना चाहती हो?”
 “ये संशोधक कौन है?”
 “मरीनोच्का, मुझे नहीं मालूम. उन नोट्स को, देखते हुए, तुम, शायद, मुझसे बेहतर जानती हो.”
 “मैं नहीं जानती कि संशोधक कौन है,” मरीना ने जवाब दिया. “मगर ये सब डरावना था. मैं वाक़ई में दरवाज़ा तोड़ना चाहती थी. बताओ तो, क्या मैंने सही किया? मुझे घसीटा गया, पूछताछ की गई...मेरी आइडेंटिटी जानने के बाद भी. मुझ पर शक किया गया, क्या तुम कल्पना कर सकते हो? और मैंने भी नोटबुक नहीं दिखाई. क्या दिखानी चाहिए थी? मैंने ठीक किया ना, जो नहीं दिखाई?”
 “मरीन, अगर तुम उन्हें दिखा भी देतीं, तो कुछ बेहतर नहीं होता. तुम हर चीज़ बस उलझा देतीं, उसमें बहुत सारे अंधेरे कोने हैं, जिन्हें समझाया ही नहीं जा सकता. तुमने बिल्कुल ठीक किया.”
 “तुम, फिर भी, क्या सोचते हो, उसने यह सब क्यों लिखा?”
 “मरीनोच्का, मैं नहीं जानता.”
 “क्या वह पागल हो गया था? वह पागल नहीं था. या था?”
 “अगर तुम समझती हो कि नहीं था, मतलब, नहीं था. इस सवाल का जवाब इस समय तुम्हारे अलावा और कोई नहीं दे सकता. जैसा तुम समझती हो, वैसा ही है. जैसा तुम कहोगी, वैसा ही होगा.”
”और, क्या नोटबुक सुबूत नहीं है?”
 “नोटबुक – नोटबुक है.” आगे वह ये भी कहना चाहता है कि वह बुरा शेर्लोक होम्स है, मगर मरीना ने बात काट दी:
 “बाद में फ़ोन करूँगी. गुड लक.”
शायद, पति आ गया था. कपितोनोव को सिग्नल सुनाई देते हैं.
वह नोटबुक वाली ब्रीफ़केस को बन्द करता है.

कपितोनोव की आँखें लाल हैं (वह आईने में देखता है). यदि किसी और का ऐसा थोबड़ा होता तो कपितोनोव समझता कि उस आदमी का नशा अभी-अभी टूटा है. बुरा हाल है. हरेक को तो वह समझा नहीं सकता कि वह अनिद्रा से परेशान है.

हॉटल में आग लगने की सूचना देते हैं. – शायद इण्डिया में या बांग्लादेश में. 17 आदमी मर गए. क्या बांग्लादेश में या इण्डिया में?
और ये है एक लड़का और लड़की, नवीं क्लास में पढ़ने वाले, एक दूसरे का हाथ पकड़कर ग्यारहवीं मंज़िल की खिड़की से बाहर कूद गए.
दीवार के पीछे काल-भक्षक (कपितोनोव का पड़ोसी वही है) गुरगुरा रहा है और ज़ोर लगा रहा है, ज़ोर लगा रहा है – वह उल्टी करने की कोशिश कर रहा है.
09.12

कपितोनोव नीचे हॉल में आया. काली ब्रीफ़केसें लिए कॉन्फ़्रेन्स के डेलिगेट्स आने लगे हैं – अब तक क़रीब दस-पन्द्रह लोग आ चुके हैं: दीवान पे और कुर्सियों में बैठे हैं, कुछ लोग चहल-क़दमी कर रहे हैं. ब्रोश्यूर में देखे फ़ोटो से वह फ़ौरन नेक्रोमैन्सर (ओझा) महाशय को पहचान लेता है, जुपिटेर्स्की को पहचान लेता है, औरों के बीच में ‘तालाब’ को देख लेता है...कल की घटना के कारण हॉटेल के प्रशासन ने   कॉन्फ्रेन्स-हॉल को मीटिंग्स और अन्य कार्यक्रमों के लिए बन्द कर दिया था, इसलिए आज दूसरी बिल्डिंग में मीटिंग होगी, जो यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है. सब लोग इकट्ठे हो जाएँगे तो उन्हें वहाँ ले जाएँगे. कपितोनोव के बदन पर है ओवरकोट और कैप.

उसके पास हाथ मिलाने को तत्पर ‘तालाब’ आता है, - अभिनन्दन करने वाले से नज़रें मिलाते हुए लाल आँखों वाले कपितोनोव को उसकी आँखों में उत्सुकता की झलक दिखाई दे जाती है और वह फ़ौरन बिना पूछे गए प्रश्न का उत्तर देता है:
 “अनिद्रा.”
”ओह, आप भी क्या! यहाँ भी? यहाँ कौन सी चीज़ आपको आराम नहीं करने दे रही है?” ‘तालाब’ शिकायत के सुर में कहता है. “वैसे, बाइ द वे,” वह कपितोनोव को एक आदमी के पास लाता है, जो गुड़ियों वाली ‘शो-केस’ के पास खड़ा उकता रहा था. “इनसे मिलिए – सिर्फ आप दोनों यहाँ  ‘मेन्टलिस्ट्स’ हैं.
दूसरे मेन्टलिस्ट का नाम है मिखाइल श्राम, उसका स्पेशलाइज़ेशन है – छुपाई गई चीज़ों को खोज निकालना. इसके अलावा वह ‘सम्मोहन’ की प्रक्रिया से भी अवगत है, और ‘तालाब’ ये चाहता है कि जब भी एकाध मिनट की फ़ुर्सत हो, श्राम31 कपितोनोव को नींद पूरी करने में, या कम से कम ऊँघने में ही मदद करे. 
दोनों के कंधों को एक सा थपथपाता है.
 “उम्मीद करता हूँ कि आप की ख़ूब बनेगी,” कहते हुए, सड़क से आती हुई टेलिविजन-टीम को दोस्ताना अंदाज़ में हाथ से इशारा करते हुए जाने लगता है. 
श्राम कपितोनोव से पूछता है:
 “संख्याओं पर, शायद, दो अंकों वाली? तो फिर, मैं कोई संख्या सोचूँ?”
 “अगर चाहें तो,” कपितोनोव ने कहा.
वह जोड़ने को, घटाने को कहता है, सोची हुई संख्या बताता है.
 “समझ गया,” श्राम को आश्चर्य नहीं होता. “मेरा सम्मोहन आप पर असर नहीं करेगा.”
 “मैं सम्मोहन के ख़िलाफ़ हूँ.”
 “ऐसा क्यों? क्या डरते हैं कि चुरा लूँगा? मैं दिमाग़-चोर नहीं हूँ.”
 “ ‘कौन’ नहीं हैं?”
 “देखिए, उठाईगीर होते हैं, जेबक़तरे होते हैं, और दिमाग़-चोर भी होते हैं. उम्मीद करता हूँ कि आप भी  दिमाग़-चोर नहीं हैं.”
 “नहीं, ये आप क्या कह रहे हैं, मैं दिमाग़-चोर नहीं हूँ.”
 “बेचेंगे तो नहीं? हम ख़रीद लेते. आपकी क़ीमत कितनी है?”
 “प्रोग्राम? दिमाग़? आप किस बारे में कह रहे हैं?”
 “ज़ाहिर है, प्रोग्राम.”
“ये व्यावसायिक सिक्रेट है,” कपितोनोव जवाब देने से बचना चाहता है. “आप तो नहीं बताएँगे कि आप वाले की कितनी क़ीमत है.”
 “क्यों नहीं बताऊँगा? मेरी प्राइस-लिस्ट सबको मालूम है. प्रोग्राम्स कई सारे हैं – कौन सा चाहिए? दिखाए गए प्रोग्राम्स में सबसे सस्ता है – “कागज़ ढूँढो”, पाँच हज़ार डॉलर्स, “छुपाया गया गोला” – पचास. पूरी निर्देश-पत्रिका सहित, गोलों के सेट सहित, ट्रेनिंग क्लासेस सहित. तीन क्लासेज़ पर्याप्त हैं. फिर भी, आप वाला कितने का है? नख़रे दिखाने की ज़रूरत नहीं है.”
 “मेरा – सिर्फ दिमाग़ों से.”
 “नम्रता से धन्यवाद देता हूँ. एक्स्ट्रा झंझट नहीं खरीदेंगे.”
हॉटेल में रहने वाले सारे लोग नहीं जानते कि मीटिंग यहीं कहीं नहीं होगी और बर्फ पे चलकर जाना पड़ेगा. ब्रीफ़केसों को हॉल में छोड़कर, वे ऊपर के गरम कपड़े पहनने अपने-अपने कमरों में जाते हैं. काली ब्रीफ़केसेस फ़र्श पे खड़ी हैं, और रिसेप्शन-काऊंटर वाले उनकी ओर हिकारत से देख रहे हैं.
 “कल की घटनाओं के संदर्भ में ये वाक़ई में चिंताजनक लग रहा है...विपत्ती सूचक न कहूँ तो,” श्राम ने सूटकेसेस पर जैसे आँखों से निशाना साधते हुए कहा.
 “मगर, अगर कुछ है, तो आप तो बाहर से देखकर ही भाँप सकते हैं.”
 “बाहर से देखने पर नहीं, बल्कि आमतौर से.”
 “चिंता करने की ज़रूरत तो नहीं है?”

मिखाइल श्राम चुप रहा. मानो वह कपितोनोव के हुनर का जवाब अपने किसी विशिष्ठ कारनामे से देना चाहता हो. उसकी नज़र ड्रैगन वाले चीनी फूलदान के पास रखे ब्रीफ़केस पर ठहर जाती है.
 “ये मेरी है,” कपितोनोव ने आगाह किया, जिससे कोई ग़लतफ़हमी न हो.
 “इसमें कोई बाहरी चीज़ है.”
 “एक आदमी की नोटबुक है,” कपितोनोव ख़ुशी-ख़ुशी मान लेता है.
श्राम के चेहरे पर लिखा है “मैंने तो नहीं पूछा था”; कपितोनोव की सहमति से दुखी होकर वह इस टिप्पणी पर ग़ौर नहीं करता:
 “नहीं, वहाँ कुछ और है.”
और वह शो-केस की ओर मुड़ जाता है, चेहरे पर ऐसा भाव है, जैसे ज़रूरत से ज़्यादा बोल गया हो.

अपनी मुस्कुराहट को रोकने में असमर्थ कपितोनोव भी शो-केस की तरफ़ हट जाता है – दूसरी वाली: इसमें पीटरबुर्ग से संबंधित हर तरह के स्मृति-चिह्न रखे हैं. उसे बड़ा हास्यास्पद लग रहा है, वह कुर्सी पर बैठ जाता है.
अधिकाधिक डेलिगेट्स आ रहे हैं, और क़रीब-क़रीब सभी के पास काली ब्रीफ़केसेस हैं.

कपितोनोव से तीन क़दम दूर ‘तालाब’ टेलिविजन वालों को इंटरव्यू दे रहा है.

09.25

“नॉनस्टेजर्स कौन होते हैं?” कपितोनोव रिपोर्टर की खनखनाती आवाज़ सुनता है (जिस आत्मविश्वास से वह कठिन शब्दों का उच्चारण कर रही थी, उससे प्रतीत होता था कि लड़की अच्छी तैयारी करके आई थी).
 “नॉनस्टेजर्स – हम हैं,” ‘तालाब’ गर्व से कहता है. “जादूगर, जो प्रदर्शनों के लिए प्रयुक्त स्थानों से नहीं जुड़े होते, - चाहे वह सर्कस का एरेना हो, रॉम्प हो, या फिर कोई स्टेज हो, इस शब्द के सभी निहितार्थों के साथ. हम अपनी कला का प्रदर्शन दुनिया के किसी भी कोने में, और किन्हीं भी परिस्थितियों में कर सकते हैं. ऑफ़िस में कोई छोटी सी पार्टी है? प्लीज़. कोई कॉर्पोरेट आया है? जितना चाहें. ट्रेन का रेस्टॉरेंट? क्यों नहीं? जहाज़-दुर्घटना झेल चुके लोगों की नौका? वहाँ भी हम आपकी मदद करेंगे. क्योंकि हमारा काम है – लोगों का ‘मूड’ अच्छा करना, उन्हें ख़ुशी देना, सबसे ज़रूरी है, उन्हें आश्चर्यचकित करना, आश्चर्यचकित करना और कई कई बार आश्चर्यचकित करना!”

“आज के इन्सान को आप कैसे आश्चर्यचकित कर सकते हैं? साधारण जादुई खेलों से?”
 “ कौशल से! नॉनस्टेजिंग – अत्यंत उच्चकोटि का कौशल है. वह दर्शक से बहुत कम दूरी पर प्रदर्शित किया जाता है, जब आपके और मेरे बीच की दूरी सिर्फ वार्तालाप के माध्यम से दर्शाई जा सकती है. हमारी असोसिएशन में यूँ ही सबसे ज़्यादा भिन्न-भिन्न प्रकार के लोग नहीं हैं – माइक्रो मैजिशियन्स, ये आजकल प्रचलित नाम है, मगर आपने, शायद, इनके बारे में नहीं सुना है? ...आप कहती हैं “साधारण जादुई खेल”. मगर माइक्रो मैजिशियन आपको ऐसे ऐसे जादू दिखाएगा...माचिस की डिबिया से या साधारण चश्मे से... आपकी बोलती बन्द हो जाएगी! माइक्रो मैजिशियन – सुपर जादूगर है, सीधी-सादी, जानी-पहचानी चीज़ों से चमत्कार करता है. वह, मिसाल के तौर पर आपका माइक्रोफ़ोन लेकर देखते-देखते उसे खीरे में बदल सकता है, या, जैसे मैं आपकी अँगूठी देख रहा हूँ...
 “ओय, ओय, रहने दीजिए! यहाँ ‘पत्ताचोर’ और ‘ठग’ भी हैं...”
 “मैं विरोध करता हूँ! हाइपर-पत्ताचोर और हाइपर-ठग. कृपया साधारण पत्ताचोरों और ठगों से इनका मुक़ाबला न करें. हालाँकि वे भी काम करते हैं, अंगुश्तानों और ताश के पत्तों के साथ. मगर हमारे वाले, वो, जो हाइपर हैं, ऐसे आर्टिस्ट्स हैं, जिनके साधारण पत्ताचोरों और ठगों से इस तरह के संबंध हैं, जैसे कानून का पालन करने वाले ऑस्ट्रेलियन्स के – अपने पूर्वजों के साथ, हर तरह के अपराधियों के साथ, जिन्हें दुनिया के दूसरे छोर पर निष्कासित कर दिया गया हो. हमारे पत्ताचोर और ठग उस्तादों के लिए अंगुश्तान और ताश के पत्ते – दर्शकों के लिए शानदार खेल की महान सामग्री है, इस खेल में जागरूक दर्शक बढ़-चढ़ कर भाग लेता है, अच्छी तरह से ये समझते हुए कि उसे... कैसे कहूँ...हराया जा रहा है. मगर वह समझ ही नहीं पाता – किस तरह से.
 “हाथ की सफ़ाई और बिना किसी धोखाधड़ी के.”
 “ठीक, बिना किसी धोखाधड़ी के. और धोखाधड़ी हो भी किसलिए? ये तो आर्ट है. जहाँ तक हाथ की सफ़ाई का सवाल है, तो इसके बिना काम कैसे चलेगा, मगर यहाँ न सिर्फ हाथ की सफ़ाई है, बल्कि मनोविज्ञान से वाक़िफ़ होना ज़रूरी है, विश्लेषणात्मक बुद्धि की भी आवश्यकता है. ऐसी भी घटनाएँ होती हैं, जब हाथों से काम ही नहीं लिया जाता. मेन्टलिस्ट जादूगर, मिसाल के तौर पर, हाथ की सफ़ाई का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि वे असाधारण कौशल से, इस शब्द के प्रयोग के लिए मुझे माफ़ करें, आपके दिलो-दिमाग़ पर कब्ज़ा करते हैं. हमारे बीच एक मेन्टलिस्ट है, जो किसी भी छुपाई गई चीज़ को ढूँढ़ लेता है, बगैर आपसे कोई सवाल किए, चाहे वह ख़ुद भी नहीं जानता हो कि आपने कौन सी चीज़ छुपाई है. मतलब, उसे तो मालूम है, प्रेज़ेन्टेशन के दौरान सब कुछ जान लेता है. ये है एक और मेन्टलिस्ट. आप कोई संख्या सोचिए, वह बूझ लेगा. कपितोनोव महाशय, प्लीज़...
कुर्सी में धँसा हुआ कपितोनोव चेहरे से ये दिखाता है कि ये ज़रूरी नहीं है, मगर लड़की उसकी तरफ़ देखे बिना ही ‘तालाब’ से बोली:
 “ज़रूरत नहीं है! मुझे सवाल पूछ-पूछकर बेहाल कर देंगे, फ़्रेम में सिर्फ आप बोलेंगे, अकेले, इसलिए मुझे कुछ बूझने की ज़रूरत नहीं है, मैं बाद मैं ख़ुद ही बूझूंगी, चलिए, आगे बढ़ते हैं. और, क्या आपके यहाँ अतिरिक्त संवेदी हैं?”
 “अतिरिक्त संवेदी – ये दूसरी बात है. हम, मैं फिर से दुहराता हूँ, एक्टर्स हैं.”
 “मगर आपके पास ईवेन्ट्स-आर्किटेक्ट्स, स्थान एवम् काल-भक्षक तो हैं...”
 “उनके लिए  बहुवचन की ज़रूरत नहीं है. उनमें से हर एक लाजवाब है, बेजोड़ है. हमारे पास एक काल-भक्षक है, वह स्थान का भक्षण नहीं करता...एक ईवेन्ट्स-आर्किटेक्ट है...” – वह जोड़ना चाहता है “एक नेक्रोमैन्सर” (ओझा), मगर उसे दरवाज़े के पास खड़ा देखकर, उसकी तरफ़ ज़्यादा ध्यान न खींचने का फ़ैसला करता है, वर्ना रिपोर्टर अचानक उसका इंटरव्यू लेने चली जाएगी, और गड़बड़ा कर फिर से अपने विचारों को व्यवस्थित करने लगता है. – “दूसरे शब्दों में,” ‘तालाब’ आगे कहता है, “विधा की दृष्टि से हमने अपने समूह में विविधता लाने की कोशिश की है, इसलिए हमने तथाकथित रिमोटिस्ट्स को, नई, मगर प्राचीन रिवाजों पर आधारित, प्रणाली के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया है. इनके बारे में दर्शकों और विशेषज्ञों की राय हमेशा एक जैसी नहीं रहती, मगर अपनी ही तरह के इन मास्टर्स के साथ सहयोग करना बहुत दिलचस्प है.”           
 “क्या नेक्रोमैन्सर भी उन्हीं में से एक है? क्या वह मृतकों के साथ काम करता है?”
 “एक बार फिर दुहराऊँगा, हम आर्टिस्ट्स हैं, आर्टिस्ट अपने अपने पात्र को बख़ूबी निभाते हैं. और फिर, बुल्गाकोव के नायक की स्थिति में स्वयम् को रखने का मेरा कोई इरादा नहीं है, जो पब्लिक को समझाता है कि काले जादू का अस्तित्व नहीं होता.”
 “मगर क्या उसका अस्तित्व होता है?”
आधुनिक मायावाद में एक ख़ूबसूरत प्रणाली का अस्तित्व है, जिसके प्रतिनिधि – हम, जादूगर-नॉनस्टेजर्स हैं, और मैं विनती करता हूँ कि हमसे इस रूप में प्यार किया जाए, और हमारी सहायता की जाए.”

09.31

“चलो, दोस्तों! समय हो गया! बिगुल मार्च के लिए बुला रहा है!”
कोई बिगुल-विगुल नहीं था, मगर बिना बिगुल के ही – ऑर्गेनाइज़िंग़ कमिटी के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार – माइक्रो मैजिशियन र्‍यूमिन लीडर का कर्तव्य निभाने सामने आया.
दरवाज़े के पास खड़े होकर वह ज़ोर से घोषणा करता है:
“हमारा दूसरी बिल्डिंग में जाना ज़रूरी है, ये पास ही में, इसी सड़क पर है. मगर सावधान कर देता हूँ, महाशयों, ख़ास तौर से जो लोग दूसरे शहरों से आए हैं: रास्ते पर बेहद फ़िसलन है!”
जादूगर हरकत में आ जाते हैं और एक के बाद एक हॉटेल छोड़ने लगते हैं.
 “एक-एक करके, एक-एक करके! साज़िश के बारे में भूलिए नहीं!”

ये मज़ाक सबको अच्छा लगता है – काली ब्रीफ़केसों के साथ देखकर इन्हें कोई भी सीक्रेट ऑर्गेनाइज़ेशन का मेम्बर समझ सकता था, जो काली रात को अज्ञात गश्तों के बाद बाहर निकलते हैं (इस शहर में श्वेत-रातें होती हैं, मगर सर्दियों के मौसम में नहीं; और सर्दियों में तो यहाँ काली रात जैसा लगता है – देर सुबह तक भी).

रास्ते पर निकलकर कपितोनोव ने पहला ऋतुजैविकी अवलोकन किया: बर्फ जम गई थी. वह अपना स्कार्फ़ ठीक करता है और, बाएँ पैर से धक्का देकर, क़रीब डेढ़ मीटर तलवों से घिसट जाता है. हमेशा की तरह इन परिस्थितियों में, उसे याद आता है, कि उसे याद है, कि बचपन में उसे मालूम था – रास्ते को ढाँकती बर्फ और फ़िसलन भरी बर्फ में क्या अंतर है.
फुटपाथ का हिस्सा, जो बर्फ और हिम से ख़ाली था, हॉटेल के प्रवेश द्वार से दस क़दम पर ख़तम हो जाता है.
 “बैलेन्स रखने के लिए, प्लीज़ जोड़ियाँ बना लीजिए!”
क्या इस समय माइक्रो मैजिशियन र्‍यूमिन मज़ाक कर रहा है, समझना मुश्किल है – लगता है, हाँ: जोड़ों में जाना बहुत ही मुश्किल है, सिर्फ – एक के पीछे एक, बर्फ साफ़ करने वाले फ़ावड़े जितनी चौड़ाई में और सामने से आने वाले पैदल चलने वालों की भलमनसाहत पर ही चलना होगा.
सबसे पहले र्‍यूमिन ही गिरता है, लीडर – उसे उठाया जाता है और बदन से बर्फ झटक दी जाती है, वह परेशान सा चारों ओर देखता है: अचानक कैसे गिर गया.

‘तालाब’ पीछे से आकर कपितोनोव को पकड़ लेता है, ‘थैन्क्यू’ बुदबुदाते हुए, इसलिए कि कपितोनोव एक ओर को हट गया था. फिर मुड़कर कहता है:
 “बाइ द वे! मुझे अभी अभी ‘काले-वन’ ने फ़ोन किया था, ऑडिट-कमिटी के लिए बाइ-इलेक्शन्स होंगे. हम – आप को.
 “मुझे?”
 “आप मैथेमेटिशियन हैं, और हम आप पर विश्वास करते हैं. किसी और पर विश्वास नहीं किया जा सकता. वर्ना वैसों की तो बोर्ड में भरमार है!...बहस तो ना ही कीजिए, कोई बहाना नहीं!”
और वह आगे लपका, जल्दी जल्दी पहले पहुँचने के लिए.
 “कोई बात नहीं, कोई बात नहीं, जल्दी ही सर्दियों का समय ख़त्म होने वाला है,” कपितोनोव के पीछे से कोई भिनभिनाया, मगर कपितोनोव किसी से बात नहीं करना चाहता और ऐसा दिखाता है कि उसने काल-भक्षक को सुना ही नहीं.                 
सामने आइसिकल्स टूट-टूट कर गिर रहे हैं – जाने का रास्ता नहीं है. सब लोग सही-सलामत बर्फ के जम चुके टीले पार कर लेते हैं, जिससे कि सड़क के फ़ेन्सिंग लगे हिस्से से बचकर वाहनों वाले रास्ते पर जा सकें. सड़क के दूसरे किनारे पर चीनी खड़े हैं और देख रहे हैं कि आइसिकल्स कैसे गिर रहे हैं. कपितोनोव चीनियों की ओर देखता है, और तभी

09.37

उसकी बारी आती है – वह फ़िसल कर गिर जाता है.
बुरी तरह गिरा – पीठ के बल. बर्फ से सिर टकरा ग्या. कराह उठा. ब्रीफ़केस एक ओर को जा गिरी, ये तो अच्छा हुआ कि कार के नीचे नहीं आई.
और, फ़ौरन ख़ुद ही उछल कर खड़ा हो गया, किसी बॉक्सर की तरह, जिसे नॉकडाऊन कर दिया गया हो, और जो यह दिखाना चाहता है, कि वह ठीक-ठाक है.

ओवर कोट की जेब से फ़ोन निकालता है, क्योंकि तभी कॉल आई थी.
 “हाँ, मरीना?”
 “तुम ‘बिज़ी’ तो नहीं हो? बात कर सकते हो?”
 बहादुरी से कहता है:
 “हाँ, बिल्कुल कर सकता हूँ! (इसी समय उसे ब्रीफ़केस देते हैं.)
 “कुछ हुआ तो नहीं?”
 “ओह, नहीं, कुछ नहीं, सिर्फ यहाँ बर्फ है...फिसलन भरी बर्फ...(सिर झुकाकर साथियों को धन्यवाद देता है और मुस्कुराकर होठों को खींचकर OK व्यक्त करता है.)
 “और, तुम इस बारे में मुझसे क्या कहोगे?”
 “याद दिलाओ, किस बारे में.. (कपितोनोव आगे चलता है.)
“क्या तुम सोचते हो, कि वह, जो उसने वहाँ लिखा, उसका, जो हुआ उससे कोई संबंध नहीं है?”
 “उससे, जो हुआ?”
 “उसकी मौत से,” मरीना ने जोड़ा.
वह फिर से बात करने के लिए तैयार नहीं है. मगर, जब बातचीत में शामिल होने की ज़रूरत होती है, कपितोनोव अक्सर शामिल हो जाता है.
“मरीन, प्लीज़, समझने की कोशिश करो,” कपितोनोव पैरों के नीचे देखते हुए कहता है, “मैं कोई शेरलॉक  होम्स नहीं हूँ, मुझे मालूम नहीं है कि क्या सोचना चाहिए. हम यहाँ पास ही में क्लब “सी-9” में जा रहे हैं, वहीं मीटिंग होगी.”
“तो सुनो. तब – ख़ास बात. क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगा कि वह सब, जो उसने लिखा था, सच है? कि वो – वो नहीं है? और अगर ऐसा है, तो फिर मैं किसके साथ रह रही थी? और वो कहाँ है, मेरा वाला?”

मैजिशियन्स दो बाहर निकली खिड़कियों वाली बिल्डिंग के पास आए, पुराने ज़माने में ये बिल्डिंग दिवालिया लोगों की वेल्फ़ेयर-सोसाइटी की थी (कपितोनोव को यह कैसे मालूम है?), और अब समूची दूसरी मंज़िल पर क्लब “सी-9” है, पहली मंज़िल पर (कपितोनोव को अभी पता नहीं है) फ़ोटो-गैलरी और वार्डरोब है.
“मरीनोच्का, मैं प्रत्यक्षवादी हूँ.”
 “तुम किस तरह के प्रत्यक्षवादी हो!”
 “किसी-न-किसी तरह का, मगर मैं ये मानता हूँ, कि हर चीज़ के पीछे कोई तर्क ज़रूर होता है. और उसे अनुभव पर आधारित होना चाहिए. तुम्हारे सवालों को मैं समझ नहीं पा रहा हूँ. हाँ, दुर्भाग्यपूर्ण, दुखभरी घटना है. मगर, यदि वैसा न होता और वह तुम्हें नोटबुक दिखाता और कहता, मरीना, देखो, मैंने कुछ कल्पना की है, पढ़ो, ये मेरी कुछ लिखने की कोशिश है, तुम्हारा क्या ख़याल है, क्या मैं इसे वैज्ञानिक फ़ैन्टेसी की प्रतियोगिता में भेज सकता हूँ, तब तुम उसे क्या जवाब देतीं?”
मरीना ने कहा:
 “मेरा ख़याल है कि फ़ैन्टेसी-प्रतियोगिता के लिए रचनाएँ दूसरी तरह से लिखी जाती हैं.”
 “मुझे नहीं मालूम कि कैसे लिखी जाती हैं,” प्रवेश द्वार के पास भीड़ से अलग होते हुए कपितोनोव जवाब देता है (सिर्फ दरवाज़ों के पास ही अन्दर जाने वालों की भीड़ बढ़ जाती है). “और, क्या तुम जानती हो? वह ख़ुद भी तो नहीं जानता था, वह कोई लेखक तो नहीं था, फ़ैन्टेसी-लेखक नहीं था, वह सोच सकता था, कि इस तरह से भी लिखा जा सकता है, सही है न, मरीना?”
उसे लगता है कि वह उसे ढ़ाढ़स बंधा रहा है.

मरीना ने पूछा:
 “तुम उस नौजवान अपराधी के बारे में क्या कहोगे? वही, जिसका चेहरा तुम्हारे ब्यूस्टे में कम्पास से नापा गया था?”
भीतर गया. लॉबी. कपितोनोव, एक तरफ़ हट कर, लोगों की तरफ़ पीठ करके खड़ा हो गया:
 “मुझे ऐसे किसीकी याद नहीं है. मैं, शायद, पहले ही निकल गया था.”
 “तो ऐसी बात है. मुझे सपना आया. मुझे सपना आया कि मेरा मूखिन...अभी भी कन्स्ट्रक्शन-टीम में है...और तुम तो उसके साथ कन्स्ट्रक्शन-टीम में थे? तुम तो थे?”
 “ठीक है, कभी था, तो फिर क्या?”
 “और, कि मूखिन...तुम्हें तो याद है, वह किसके साथ?...ये तो तुम्हें मालूम होना चाहिए था?”
 “मालूम नहीं कि तुम्हें क्या-क्या सपने आते हैं,” वह रूखेपन से कहता है.
 “उस स्टोरकीपर के साथ. मुझे उसका नाम भी मालूम है. मालूम है, क्या?”
 “नहीं”
 “उसका नाम था याना.”
 “क्या ये सब तुमने सपने में देखा?” कपितोनोव दीवार के पास सरकता है (पीठ के पीछे है भीड़, पैरों का पोंछना, क्लोक-रूम, सड़क से आती हुई ठण्ड).
  “हाँ, ये बड़ा अजीब सपना था, बिना किसी फ़ैन्टेसी के, और भी अजीब इसलिए था, कि उसमें कोई भी अजीब बात नहीं थी. उसका नाम था याना. शराबी थी. पीती ही रहती थी. सबको देती थी. सबको. तुमको नहीं दी?”
 “मरीना, मैं ऐसी किन्हीं यानाओं को नहीं जानता था, और अगर मैं तुम्हारे सपने में आया था, तो मैं वो नहीं, जो तुम्हारे सपने में आया था, तुम समझ रही हो?”
 “नहीं, तुम मेरे सपने में नहीं आए. मेरे मूखिन ने नशे में उसके साथ संभोग किया, जब वह भी धुत थी. स्टोर में, चौथे सेक्शन में...”
 “तुम कौन से सेक्शनों की बात कर रही हो? कोई सेक्शन-वेक्शन नहीं थे...”
 “स्टोर में, चौथे सेक्शन के पीछे. परदे के नीचे, जाने के दिन. गैस की बू आ रही थी, वह पूरी तरह धुत थी, जब वह जा रहा था. गैस लीक हो रही थी...वहाँ बहुत सारे रूई के जैकेट्स थे, रूई के जैकेट्स का पहाड़ था...और रेल्वे स्टेशन पर उसने सुना, कैसे उलटियाँ हो रही थीं...तुम सब धुत थे, घबराओ नहीं...और फिर, वह वाक़ई में चली गई, जाने में क़ामयाब हो गई...और ये, उसका बेटा, मूखिन का बेटा बड़ा हुआ...सौतेले बाप को मार डाला...अपने बाप के बारे में पता लगाया...और उसे भी मार डालने का फ़ैसला किया...मगर वह तब तक उस विषय पर आ चुका था...तुम लोगों की खोजों के दायरे में...उसे ढूँढ़ रहे थे...और , ये, उसीको कम्पास से...”
 “मरीना, फ़ौरन चुप हो जाओ! ऐसे सपने नहीं हुआ करते! तुम कह क्या रही हो! कोई याना नहीं थी, कोई स्टोर्स नहीं थे, हम लैण्ड-रिक्लेमेशन (भूमि-सुधार) पर काम कर रहे थे...उस समय हर जगह पर लैण्ड-रिक्लेमेशन हो रहा था!...तुम्हें हुआ क्या है? तुम कहाँ हो? अपने दिमाग़ से इस बकवास को निकाल फेंको! तुम्हें इस नोटबुक को भूल जाना चाहिए!”
 “नहीं! मैंने जैसे ही तुम्हें वह नोटबुक दी, ऐसा लगा जैसे मेरे भीतर का कोई हिस्सा टूट कर गिर गया हो. उसके बगैर नहीं रह सकती. मैं उसे लेने के लिए आ रही हूँ, ठीक है? क्या वह तुम्हारे पास है?”
 “मेरे पास है. मगर तुम्हें उससे अपना ध्यान हटाना होगा.”
 “क्लब “सी-9”...मुझे मालूम है, वहाँ मास्क्स की एक्ज़ीबिशन लगी थी...और जब तुम पढ़ रहे थे, तो क्या तुम्हें नहीं लगा कि मूखिन...”
वह ख़ामोश हो गई. मोबाइल एक हाथ से दूसरे हाथ में लेते हुए वह ओवरकोट उतारता है.
 “मूखिन क्या?...”
 “ये, कि मूखिन तुम्हारे जैसा है?”
 “नहीं, मरीना, हम दोनों में ज़रा भी समानता नहीं थी.”
 “मैं असली मूखिन की बात कर रही हूँ, मैं उसके बारे में नहीं कह रही हूँ, जिसने ये सब लिखा था.”
कपितोनोव की सांस जम गई.
 “मैं उससे बहुत प्यार करती थी.”
 अब वह चुप रहता है.
 “मैं आकर ले लूँगी.”
 “ठीक है,” कपितोनोव ने कहा.
09.49



वह अपने आप को दूसरी मंज़िल पर इन्स्टेंट कॉफ़ी में उबला हुआ पानी डालता हुआ पाता है: मूखिन से कोई कैसे प्यार कर सकता है?... केतली वापस अपनी जगह पर रख देता है. ख़यालों को झटक कर, एक चम्मच से शक्कर लेता है. ब्रीफ़केस पैर के पास रखी है, और पैर नोटबुक वाली ब्रीफ़केस को अपने पास रखा हुआ महसूस कर रहा है. इन्स्टेंट कॉफ़ी को कपितोनोव अक्सर टाल देता है, अक्सर वह उबली हुई कॉफ़ी पीता है, उसके पास तांबे की कॉफ़ीदानी है – सचमुच की, नीना ने ही इस्ताम्बुल में ख़रीदी थी. बिस्कुट लिया, एक टुकड़ा मुँह में डाला. प्रवेश द्वार के पास मेज़ के निकट रजिस्ट्रेशन चल रहा है, कपितोनोव वहाँ जाना चाहता है, मगर सही वक़्त पर उसे याद आया कि वह यंत्रवत् रजिस्ट्रेशन करवा चुका है: जैसे ही वह लॉबी में दाख़िल हुआ, उससे नाम पूछा गया था. एक घूँट लेकर कपितोनोव सोचता है: मैं कोई ईवेन्ट्स-आर्किटेक्ट नहीं हूँ (उसकी याद आ गई – हॉटल में काऊंटर के पास वाले).